Wednesday, November 25, 2009

गमों का सागर

गमों का सागर इतना गहरा

लहर उठी ऊँची ऊँची

फंस गई नैया बीच भवर में

दुखो का पहाड़ इतना ऊँचा

राह न कोई नजर आई

टूट गई जिन्दगी

भर आई आँखे

जीने की अब कोई चाह न रही

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