Saturday, September 26, 2009

पहचान

रंगत है गुलाल की

खुशबू है गुलाब की

धडके जो दिल में

पहचान है प्यार की

चाँदनी है चाँद की

मादकता है शराब की

तस्बीर जिनकी नजरो में

पहचान है आशिके गुलाम की

श्याम रंग

मैं तो खेलू होली मेरे सावरिया गिरधारी के संग

नाचू खूब उडाऊ गुलाल मुरली मधुर की बांसुरी तान पे

श्याम वरन रंग जाऊ अपने नटवर के साथ

मोहे भाये ना कोई दूजा रंग प्यारा लागे श्याम रंग

मैं तो खेलू होली मेरे माखन चोर के संग

रिश्ता

रिश्ता प्यार भरा हो

जिसमे अपनापन हो

फूलो की तरह जो महके

पंछियों की तरह जो चहके

संगीत की जिसमे सरगम हो

नगमो की जिसमे साज हो

ईश्वर की जिसमे आराधना हो

ऐसा रिश्ता मेरा तेरा हो

मुलाकात

करले करले तू एक मुलाकात करले

ना चाहते हुए भी हम से प्यार करले

करले करले तू एक मुलाकात करले

थोडी सी मोहलत हम को तू दे दे

दिल अपना दिखलाने की इज्जाजत दे दे

करले करले तू एक मुलाकात करले

थोडी इज्जाजत हम को भी दे दे

एक बार प्यार करने का मोका हम को भी दे दे

करले करले तू एक मुलाकात करले

प्यार के जहा में खो जाने की इज्जाजत दे दे

प्यार में दुनिया भूल जाने का सबक हम से सीख ले

करले करले तू एक मुलाकात करले

हसीन तोहफा

मैं अपने प्यार को एक हसीन तोहफा दू

ताजमहल से खूबसरत नजराना दू

सात जन्मो तक साथ निभे

ऐसा कुछ खास उपहार दू

सात फेरो के साथ उसे

जीवन अर्धांगी बनाऊ

तम्मना ओर ना रही

अब चाहत ओर ना रही

कुछ पाने की लालसा ओर ना रही

जीने की तम्मना ओर ना रही

दिलो को रुलाने की तम्मना ओर ना रही

बदलते रंगों में जीने की तम्मना ओर ना रही

तन्हा रहने की आदत ओर ना रही

जिन्दगी जीने की तम्मना ओर ना रही

जिन्दगी गुजर गई

हर लहमो के लिए कुछ लिखा

पर अपने लिए कुछ ना लिखा

वक्त ही ना मिला

कब लहमा गुजर गया

पता ही ना चला

तमना अधूरी रह गई

ओर जिन्दगी गुजर गई

लगाव

स्नेह स्नेह स्नेह बढा

हम दोनों के बीच प्यार बढा

हौले हौले इकरार बढा

दिलो में एक दूजे के लिए लगाव बढा

आहिस्ते आहिस्ते एतबार बढा

एक दूजे के संग जिन्दगी

जीने का रंग चडा

मोहन की मीरा

नजाकत और सुन्दरता की

खुबसूरत संगम हो तू

शबमी बूंदों में लिपटी

जैसे कोई अप्सरा हो तुम

प्यार का सागर छलकाती

मोहन की मीरा हो तुम

होंसला

हर लहमा तुम्हे याद करते है

जीने के लिए तेरे प्यार की पनहा मांगते है

तेरे प्यार में खुदा से लड़ जाने का जज्बा रखते है

तू जो हां कह दे तो तुझे अपनाने का होंसला रखते है

Friday, September 25, 2009

जय माता दी

हो के सिंह पे सवार

माता आई भक्तो के पास

ओड़ चुनरिया लगा के मेहँदी

थामे हाथ में भाला

पहने गले में माला

माता चली आई भक्तो के पास

गूंज रही हर गली गली

माता की ही जयकार

करके दर्शन भक्तो

करलो पूर्ण अभिलाषा आज

माता आई है अपने भक्तो के पास

जय माता दी

मुश्किल घड़ी

मुश्किल घड़ी पड़ी

याद किया ईश्वर को

संकट जो टला

पल ही दो पल में

भूल गए ईश्वर को

आदत ना बदली

छलना ना छोड़ा ईश्वर को

दो मुहें मानव की नोटंकी के आगे

फिसल जावे ईश्वर हो

मुश्किल घड़ी टलते ही

भूल जावे ईश्वर को

सागर के पास

आ फिर चले बैठे सागर के पास

खो जाए सागर की लहरों में

थामे रहे एक दूजे का हाथ

आ फिर चले बैठे सागर के पास

करे दिल की बात

ना छूटे एक दूजे का साथ

आ फिर चले बैठे सागर के पास

लहरों पे डोलती नैया से सीखे ये बात

मुश्किल घड़ी भी बना रहे अपना साथ

आ फिर चले बैठे सागर के पास

सागर की हलचल से ले ले ऐ अहसास

प्यार की नही कोई पहचान

आ फिर चले बैठे सागर के पास

दिल शायर

दिल आज शायर हो रहा है

परियो के मेले में हुस्न की

शहजादी को को तलाश रहा है

तराने नए गा रहा है

लैला लैला पुकार रहा है

नगमे प्यार भरे सुना रहा है

दिल आज शायर हो रहा है

बेमिशाल कृति

कितनी खुबसूरत ये सृष्टि है

हर पल अलग अलग नजारे है

कही धुप तो कही छाव है

बड़ी सुंदर ये रचना है

कही बसंत तो कही पतझड़ का मेला है

कल्पना से परे ये अजबूझ पहेली है

कुदरत की ये बेमिशाल कृति है

Thursday, September 24, 2009

पितृ ऋण

ये शोभाग्य हमने पाया


आप को पितृ रूप में पाया


प्यार का पाठ आप ने पढाया


उन्नति मार्ग हमको दर्शया


इस पितृ ऋण को कभी ना चुका पायेंगे


वचन जो दिया पूर्ण कर जायेंगे


ये जीवन आप के चरणों में


समर्पण कर जायेंगे


गर्व के संग आप का अंश कहलायेंगे


नाम आप का अमर कर जायेंगे


पितृ स्नेह की कथा


भविष्य को अर्पण कर जायेंगे


अधूरी महफ़िल

हुस्न की महफ़िल में तुम्हारी कमी थी

काँटो के बीच गुलाब की कमी थी

सूरज के साथ चाँद की कमी थी

रंगों की भीड़ में रोनक की कमी थी

अजनबियों के बीच अपनों की कमी थी

एक तुम्हारे बैगर हर महफ़िल अधूरी थी

तू ही तू

पलके खुले तेरा चाँद सा चेहरा नजर आए

मुख खुले तो तेरा ही नाम लबों पे आए

जब सुने तो तेरी ही मधुर तान सुने दे

हर दिन हर पल हर जगह

बस तू ही तू नजर आवे

किस राह

क्यो उन अरमानो की चाह रखु

जो पुरे हो ना सके

क्यो उन खाबो को देखू

जो मिल ना सके

तू ही बता ऐ जा नसीन

में किस राह चलू

रुखसत तुम्हे कल होना है

क्यो ना आज ही कर दू

तेरी नई सुबह का

आज में आगाज कर दू

नए जीवन की शुरआत

ना जाने क्यो ऐतबार है

अब भी एक विश्वास है

मिलेंगी नई मंजिले

राहें होंगी फिर आसान

खुलेंगे किस्मत के बंद दरवाजे

एक नई सुबह के साथ

एक नए जीवन की शुरआत होगी

मुकाम

जिन्दगी तेरा आखरी मुकाम क्या है बता जा

भविष्य के दर्शन करा जा

मौत गले मिले उससे पहले जीने की कला सिखा जा

नश्वर जीवन को सार्थक बनाजा

प्रेम की नदिया

उमड़ घुमड़ काली घटा छाई

रुत मिलन की आई

घनघोर घटाए छाई

संदेश सुहाना लायी

छम छम बरसा आई

विरह वेदना को शीतल

ठंडी फुहार बनाई

फिजा की रंगत बदल आई

हर ओर प्रेम की नदिया बह आई

सरस्वती का वरदान

मन हो जिसका शहद सा मीठा

मुस्कान में हो चीनी सी मिठास

जुबा हो गुड समान

उस कंठ विराजे

माँ सरस्वती का वरदान

जहा विराजे सरस्वती का वरदान

उस द्वारे सदा करे लक्ष्मी निवास

धन धान्य से भरा रहे संसार

जीवन बना रहे सदा खुशहाल

सुनो सहेली

सुनो सहेली सुनो सहेली

आँख ऐ डोली राज ऐ खोली

हौले हौले बात ऐ बोली

सुनो सहेली सुनो सहेली

पैगाम ये बोली

मन ऐ नाचे दिल ऐ गाए

साजन जी डोली लेके आए

सुनो सहेली सुनो सहेली

कर के अब सोलह श्रृंगार

खुशी खुशी रुखसत कर दो मोहे आज

सुनो सहेली सुनो सहेली

गुले गुलजार

दिल गुले गुलजार हो गया

तुने थामा जो हाथ हमारा

रोशन जहाँ हो गया

तेरे मुस्कराहट से

उजडा चमन बहार हो गया

दिल गुले गुलजार हो गया

एक नई जिन्दगी

आ फिर शुरू करे एक नई जिन्दगी

ना कोई सिकवा करे ना शिकायत करे

सिर्फ़ एक दूजे को जी भर प्यार करे

आ फिर शुरू करे एक नई जिन्दगी

हम हो तुम हो सिर्फ़ प्यार ही प्यार हो

मिलके ऐ वादा करे

प्यार की राह से जुदा ना हो पाए

आ फिर शुरू करे एक नई जिन्दगी

माझी

ओ मेरे माझी रे

चल दूर कहीं अकेले में

प्यार के सागर बहे जहा

दिल की गहरायियो से

ओ मेरे जीवन खेवैया रे

पतवार दिल की थामे रखना रे

ऊँची नीची लहरों पे

डोल ना पावे नैया रे

ओ माझी रे

मेरे माझी रे

यादगार कृति

मन दिल की बात कहता है

जज्बातों की ताबीर बुनता है

भावनाओ को सुंदर शब्दों में पिरोता है

शब्दों की रचना को यादगार कृति बनाता है

आर्शीवाद को शौगात

गुनगुनी धुप खिली

अरमानो की बगिया महकी

शीतल पवन मृदु़ल हवा चली

खुशियों की बरसात हुई

इस नई बेला

आर्शीवाद की नई शौगात मिली

Wednesday, September 23, 2009

सप्तरंगी

सप्तरंगी ओ सप्तरंगी

चुनर तेरी सप्तरंगी

घुमर तेरा नारंगी

लहंगा तेरा सप्तरंगी

पायल तेरी सोने की

नाचे गावे ढोल बजावे तू बहुरंगी

छटक रही आभा सप्तरंगी

इन्द्र घटा भी नजर आवे सप्तरंगी

सप्तरंगी ओ सप्तरंगी

होसले

प्रचंड वेग नदी की धार पर कर सवारी तू

कर होसले बुलंद कदम आगे बढाये चल

जोश भर उमंग भर आगे ही आगे बढता चल तू

सफलता के अश्व पे विराजमान रह तू

समय को गुलाम बना तू

कामयाबी के नए कीर्तिमान बना तू

मंत्र कुंजी जो पाई उसे बाटता चल तू

हो सिंह पे सवार जीत का जश्न मना तू

इतिहास के पनों में स्वर्णिम अक्षरो से नाम लिखा तू

चल थाम कामयाबी के दामन को

ओर प्रचंड वेग से आगे बढता चल तू

खुशियों की बारात

रुत आई फसल खिल आई

कलि फूल बन आई

रंगत नजरो की निखर आई

मेघो के सुरमय संगीत पे

नदिया भर आई

चमन हरयाली का

कालीन बन आई

यू लग रहा है मानो

खुशियों की बारात चली आई

पाती प्यार भरी

पाती ऐ प्यार भरी

दिल के कागज पे लिख भेजी है

हर अरमानो को

लहू से अपने लिख भेजा है

कोरा कागज ना समझना

दिल अपना भेजा है

बात हमने अपनी कह डाली है

बारी अब आपके जबाब की है

जो अच्छा लगे लिख देना

पर दिल अपना हमारे नाम कर देना

आरधना

शबनम सी तू हँसि

फूलो सी तेरी काया

मोती सी तेरी मुस्कान

झील सी तेरी आँखे

कोयल सी तेरी वाणी

सूरज सी तेरी आभा

तभी तू लगे सब से

न्यारी सब से प्यारी

तू है मेरी आरधना

लाइलाज

प्रेम अगन है ऐसी जुदा ना हो पावोगी हमसे

जुस्तजू है ऐसी भुला ना पावोगी हमें

लगी है ऐसी दूर ना रह पावोगी हमसे

क्योकि मर्ज लाइलाज लगा लिया तुमने दिल से

जिऊ कैसे

महबूब मेरे दिले हाल बया करू कैसे

ना जाने अब मुलाकात हो कैसे

राज जो दिल में छिपा है

उसे तुम्हे बताऊ कैसे

पलकों में पे जिसे सजा रखा है

उसे तुम्हे दिखाऊ कैसे

इन्तजार ख़त्म करू कैसे

तुम बिन अब जिऊ कैसे

चंचल मन

तन्हा तन्हा वक्त कटे ना

सब कुछ मिथ्या मिथ्या लगे सा

बिन सपनो के नींद आवे ना

खुली आँखों से भी कुछ नजर आवे ना

मन चंचल कहना माने ना

हर अक्स में तुम्हे तलाशे सा

हौले हौले

हौले हौले मन ऐ बोले

चंदा को देख दिल ऐ डोले

प्रियतम का है इंतजार

धीरे से ऐ बोले

हौले हौले ओ जी हौले हौले

मन ऐ महके

फूलो को देख दिल ऐ खिले

सनम की खुशबू से ऐ महके

हौले हौले ओ जी हौले हौले

मन ऐ गुनगुनाये

सावन को देख गीत ऐ गाए

साजन मिलन के गीत ऐ गुनगुनाये

हौले हौले ओ जी हौले हौले

दिल की पुकार

ऐ दिल पुकारे

तू चली है कहा

सुन जा दिल की आवाज़

चली आ मेरे पास

यू ना दिल दुखा

यू ना अब ओर सता

हर सिकवे को भुला

अब तो चली आ

चली आ चली आ

सुन के दिल की पुकार

चली आ चली आ

जाते कदमो को रोक लो

तेरे बिन जी ना पाऊ ऐ जान लो

तू अब तो चली आ चली आ

सुन के दिल पुकार

चली आ चली आ

ख़ुद की खोज

धड़कन को खोजा तो दिल में पाया

रोशनी को खोजा तो आँखों में पाया

प्यार को खोजा तो आप में पाया

ख़ुद को खोजा तो आप की बाहों में पाया

Monday, September 21, 2009

तवायफ की कहानी

ये तो गुमनाम गलिया है

बदनाम लोगो की दुनिया है

ना कोई आशा है ना कोई नाम है

बस अंधेरे की चादर में डूबी जिन्दा लाश है

ना कोई नाता ना अपना है

तन्हाई से करीब का रिश्ता है

महफ़िल यहाँ सजती है औरो की खातिर

जिस्म जा लुट जाने की खातिर

बेबस ऐ गलिया बेचारी है

जिस्म के सौदागरों के आगे

हारी दुनिया ऐ सारी है

निगाहें

निगाहें हटती नही

नजरे थकती नही

रूप ऐ देख पलके झुकती नही

सागर सी गहरी झील सी सुंदर ऐ आँखे

नजरे हटने देती नही

शरमा के यू मुस्कराना

पलके बंद होने देती नही

खूबसूरती समां गई आँखों में

निगाहें अब कुछ ओर तकती नही

जिन्दगी की सरगम

आओ मिलके जिन्दगी की सरगम गावे

छोटा सा खुबसूरत आशियाना बसावे

गीत आज कोई नया गावे

संदेश फिर प्यार का बरसावे

आओ मिलकर जिन्दगी की सरगम गावे

जीवन को कभी कविता तो कभी गीत बन गुन्गुनावे

काँटो में रहकर भी गुलाब की तरह मुस्काए

आओ मिलकर जिन्दगी की सरगम गावे

भूल

जाने वो कोन सी घड़ी थी

अनजानी मुसीबत को न्योता दे दिया

लाख कोशिश की निकल आने की

हर राह बंद होती नजर आई

जाने वो कोन सी भुल्भुलाया थी

सिर्फ़ अन्धकार ही अन्धकार नजर आया

यू लगा मानो जैसे

एक तरफ़ कुवा दूसरी तरफ़ खाई है

ध्यान जो रब को किया

उम्मीद फिर नजर आई

नजरे खोली तो देखा

स्वतः ही बाहर निकलने का

मार्ग प्रस्तुत हो चला

वादा किया अब ना एसी गलती दोहराएँगे

शान्ति पूर्वक जीवन गुजार जायेंगे

नहने कमल

ओ मेरे नहने कमल

इन आँखों का नूर है तू

अभिमान है तू

तेरे खिलने से बगिया महकी

तेरी नटखट बाल अदाओ पे मन मुस्काये

तेरे में अपना अक्स नजर आए

दृड़ मन

जीवन पथ दूरगामी है

सांसारिक नियमो से दुखी ये मन भारी है

हर पथ लथपथ है

निराशा के भवर में फसा ये मन है

हताहत्तो से भरा हर पथ है

असफलताओ से आहात ये मन है

नए साल की नई सुबह

प्रफुलित आज ये मन है

नई दिशाए नई राहे

मन एक विश्वास जगाये

जीवन पथ हो कामयाबी पे अग्रसर

दृड़ आज हुआ है ये मन

अक्षर

अक्षर मैं अक्षर जुड़ते गए

शब्द नए बनते गए

दिल शब्दों को पिरोते गए

गीत नए बनते गए

कुछ कमी का अहसास

अहसास कुछ कमी का हो रहा है

अपनों से दूर जाने का दर्द सता रहा है

अकेले हो जाने का गम रुला रहा है

हर तरफ़ अँधेरा ही अँधेरा नजर आ रहा है

उम्मीद की लो बुझ रही रही है

क्या करू , अहसास कुछ कमी का हो रहा है

Saturday, September 19, 2009

दीदार

हवाओ से कह दो रुख बदल ले

सर से आँचल सरक ना जाए

घूँघट से चाँद निकल ना आवे

बिन ईद दीदार हो ना पावे

रिश्तो के नाम

उन रिश्तो को क्या नाम दे

बात जो दिल की हो

उसे लफ्जो में कैसे वया करे

जो पवन हो उसे क्या जुबा दे

कैसे उन रिश्तो को नाम दे

खुदा की निमत हो जिनपे

कैसे उन रिश्तो को ना स्वीकार करे

नए नगमे

तुम साज हो में संगीत तुम्हारा

मिलके लिखे गीत सुहाना

हो ताल का प्यारा मिश्रण

शब्दों का अनोखा संगम

दिलो की मधुर तान

गावे नए साज

आओ मिलके लिखे

नए नगमे हजार

जीना है

अलविदा अलविदा ये जिन्दगी अलविदा

तेरे बगैर जीना है

यादो को तेरी दिल में रखना है

चाहू या ना चाहू पर जिन्दा रहना है

तुझे अलविदा कहना है

अलविदा अलविदा ये जिन्दगी अलविदा

सितारों के बीच

आओ सितारों के बीच एक नई दुनिया बसाये

तुम चाँद और मैं सूरज बन चमके

मेरी प्यार भरी किरणों से तेरा नूर महके

तेरे प्यार की रोशनी से अपनी दुनिया आबाद रहे

आओ एसी एक दुनिया बसाये

अकेला

जिन्दगी चलते गए

कदमो के निशा बनते गए

आहिस्ता आहिस्ता कारवा गुजरता गया

निशा बदलते गए

मंजिल गुजरती गई

अहसास ही हो ना पाया

पलट के देखा तो ख़ुद को

अकेले खड़ा पाया

अक्सर

अक्सर वो सुहाने पल याद आ जाते है

संग गुजारे हसीन पल याद आ जाते है

ओ मिलन की बेकरारी ओ बेताबी

बातों का वो सिलसिला

यादो के झरोके से दिल को छेड़ जाते है

अक्सर वो खुबसूरत रंगों से भरी दिल की किताब

बीते लह्मो से फिर मिलन का मशवरा दे जाती है

तेरे बिना

लबों पे तुने जो अपना नाम लिख दिया

कैसे उसे मीटाऊ

दिल जो मेरा तुने अपने नाम कर लिया

कैसे तुझे भुलाऊ

नयनो में तू जो छाई

कैसे तुझे से नजर चूराऊ

धड़कन में तू जो समाई

तुझ बिन कैसे जी पाऊ

Friday, September 18, 2009

सर्व शिक्षा

ज्ञान की लो जलाई है

नए विचारों की मिशाल जलाई है

आशा की किरण नजर आई है

अज्ञान से लड़ने की बारी आई है

शिक्षा की दावानल जलानी है

कोई अनपड़ ना रह पावे

अभियान ऐ चलाना है

शिक्षा का महत्व सब को समझाना है

सर्व शिक्षा के अभियान को आगे बढाना है

सभ्यता की ओर कदम बढाना है

मिलके इस मंजिल को पाना है

सर्व शिक्षा अभियान चलाना है

मेहरबानी

वो परियो की शहजादी

तुम कोंन हो हमें बता जाना

अपना पता हमें दे जाना

इतनी मेहरबानी हम पे कर जाना

दिल हमारा तोड़ ना जाना

वो परियो की शहजादी

खता हमारी माफ़ करना

मोहब्बत की मिशाल

काव्य तुम हो कविता तुम हो


प्यार भरा गीत तुम हो


संगीत तुम हो चमन तुम हो


सबसे हसीन तुम हो


खुदा तुम हो जीवन तुम हो


मेरी प्रेरणा तुम हो


आरजू तुम हो ताज तुम हो


मोहब्बत की मिशाल तुम हो

सपनो के पंख

सपनो को पंख लग जाने दो

मुझ को आज उड़ जाने दो

सब दुःख दर्द भूल जाने दो

एक नई दुनिया में खो जाने दो

सपनो को पंख लग जाने दो

सांसारिक नियम

उड़ना चाहू उड़ ना सकू

सांसारिक नियमो को तोड़ ना सकू

ऊँचे ऊँचे पर्वतो पे बस ना सकू

मोह माया त्याग ना सकू

हरी भरी वादियों में खो ना सकू

चिंता से मुक्त हो ना सकू

रमणीय प्रकृति की गोद में सो ना सकू

चाह कर भी जीवन त्याग ना सकू

निःस्वार्थ भाव

खाब बस इतना सा है

मानव सेवा में जीवन अर्पण हो

मानवता ही मेरा तर्पण हो

मेरा कर्म ही मेरा दर्पण हो

निःस्वार्थ भाव से जीवन समर्पण हो

दिल की दस्तक

आप के प्यार भरे दिल की दस्तक सुन

दिल हमारा मचल उठा

जब तलक कुछ समझ पाते

ऐ आप का गुलाम हो चुका

Thursday, September 17, 2009

मिश्रि सी मिठास

तेरी बातों का पिटारा करिश्माई

हर शब्द जादुई

मायाजाल से भरा वाक्ये करिश्माई

तेरी आगे अल्लादीन के

चिराग का जादू फीका

बातों में ना कोई तेरा सानी

क्योकि तेरी बातों में

मिश्रि सी मिठास घुली है

भारत के शूरवीर

ऐ भारत के शूरवीरों

जनम भूमि का बुलावा आया है

सरहद पे दुश्मन ने ललकारा है

मार उसे भगाना है

नाको चने चबाना है

देश की रक्षा के लिए

प्राण न्योछावर कर जाना है

बलिदान की मिशाल बनाना है

आखरी साँस तक लड़ते हुए

शहीद हो जाना है

माटी का कर्ज चुकाना है

जूनून

ईद का चाँद नजर आया

चाँद में आप का अक्स नजर आया

चाँद में अक्स देख ऐ ख्याल आया

कही ऐ आप का पैगाम तो नही आया

ख्यालो को टटोला तो ऐ अहसास आया

जूनून आप का हम पे चढ़ आया

जमाने की नजर

नजर जमाने की लग गई

नींद कही खो गई

सपने टूट गए

माला रिश्तो की बिखर गई

हम तुम अजनबी बन गए

काफूर हर खुशी हो गई

गम के अंधरे छा गए

क्यो ऐ घड़ी आन बनी

हमें तुमसे जुदा कर गई

नजर जमाने की लग गई

तेरा मेरा साथ

कोई ऐसी जगह हो

जहाँ तन्हाई हो

चाँद तारो का साथ हो

मेरे हाथो में तेरा हाथ हो

कल कल बहती नदिया पास हो

प्यारा लगे हर लहमा

तुम जो दिल के पास हो

एसी सुंदर कोई शाम हो

पल दो पल का ही सही

तेरा मेरा साथ हो

अदा

माना आप की अदाओ के हम कायल है

पर ऐ दिल आप की तिरछी नजरो से घायल है

लहू जो बह रहा है दिख नही रहा है

प्यार बन लबों पे आ रहा है

अब इकरार करो या इनकार

ऐ दिल आप पे है कुर्बान

Tuesday, September 15, 2009

हँसनी

हँसनी ओ मेरी हँसनी

शुक्रिया मेहरबानी

तू जो बनी मेरी परछाई

बजने लगी शहनाई

रंगत लगी निखरने

चंदा भी लगा शर्माने

हँसनी ओ मेरी हँसनी

आ छुपा लू तुझे बाहों में

नजर ना लग जाए

काजल बना सजा लू आँखों में

आ बसा लू तुझे साँसों में

हँसनी ओ मेरी हँसनी

पागल पवन

ओ रि पागल पवन

मत ना छेड़ दिल के मोर

क्यो डाले घटाओ पे डोर

उठने दे प्यार की हिलोर

टूट ना जाए पतंग की डोर

ओ रि पागल पवन

क़हा है तेरी छोर

मत ना मचा इतना शोर

बहने दे संगीत का दोर

मत ना तोड़ दिल की ओश

ओ रि पागल पवन

ओ रि पागल पवन

समझ ले इशारों की ओट

बदल ले तू अपना मोड़

बिन छुए निकल ले

कही भटक ना जाए दिल के चोर

ओ रि पागल पवन

ओ रि पागल पवन

बिटिया जनम

किलकारी लगी गूंजने

दीपक रितु की महकी बगिया

खुशिया पधारी हमारे अंगना

लक्ष्मी दुर्गा रूप धर आई

सोगात ऐ अनुपम हमने पाई

कुदरत ख़ुद हमारे घर चली आई

हे ईश्वर मंगल पावन की इस मधुर बेला

स्नेह भरा निमंत्रण आप स्वीकार करो

नामकरण की शुभ बेला पधार

नए मेहमान को आर्शीवाद प्रदान करो

आओ ना

आओ ना आओ ना

पास आओ ना

बुला रही दिल की वादियाँ

साजन मेरे चले आओ ना

आओ ना आओ ना

लगी जो तेरी लगन

मनमीत बन जाओ ना

आओ ना आओ ना

खामोश नजरे बुला रही

नूर तुम बन जाओ ना

आओ ना आओ ना

पास आओ ना

डोली लेके आओ ना

संग हमें भी ले जाओ ना

आओ ना आओ ना

बेमिसाल सोंदर्य

जीवन कण कण में मधुर स्वर लहरी बन तुम बसी हो

आइना जो देखू तो तेरी ही तस्वीर नजर आवे

मुख जो खोलू तू तेरा ही नाम लबों पे आवे

दिल कहे तेरी परछाई अब ना दूर जावे

तेरे बेमिसाल सोंदर्य खयालो में खोये रहे

सादा जीवन ऊँच विचार

दिव्या प्रकाश मुख मंडल सुशोभित करे

ओजस्व बाणी मधुर स्वर

उज्जवल कांति सोम्य स्वभाव दर्शाए

शीतल पावन चरित्र मन

बहुमुखी प्रतिभा

आलोकिक गुणों से भर सर्वश्रेस्ट इंसान रचे

ये कल्पना अब छोडिये

धरिये सादा जीवन ऊँच विचार

करिए जीवन सफल

होहिये हर छेत्र में कामयाब

कैसे कैसे राज

बतिया बताऊ दिल दिखलाऊ

कैसे कैसे राज छुपे है ऐ मैं तुम को बतलाऊ

नजरे मिलाऊ सीने से लगाऊ

दिल की धड़कन तुम को सुनाऊ

साथ चलू प्यार करू तेरे संग जीवन बिताऊ

दुर्गा

ओ माता रानी

जय अम्बे महारानी

तेरे जयकारे से गूंजे दुनिया सारी

जय माँ काली

जय माता रानी

ओ कष्टहारी पाप नाशनी

तेरी महिमा गावे दुनिया सारी

ओ अस्टभुजाओवाली

ओ माता सिंघ्सवारी

तेरी शक्ति को पूजे दुनिया सारी

जय माता दुर्गा रानी

जय माँ अम्बे भवानी

तेरे जयकारों से गूंजे दुनिया सारी

Wednesday, September 9, 2009

झूटा सुख

हर कहानी अधूरी है

हर मंजिल अधूरी है

न जाने क्यो सब जल्दी में है

इस भागम भाग में आगे निकलने की होड़ है

सपने चाहये रहे अधूरे

पर झूटे सुख की तलाश में भागना जरुर है

भारतीयता

भारत की पावन भूमि का खुबसूरत नजारा है

कहि मन्दिर की घंटी तो कहि अजान की स्वर लहरी

एक ही अम्बर तले बसे सारे महजबी

महजब भिन जाती भिन फिर भी अमन चैन

क्योकि लोगो के दिलो में बसे भारतीयता का प्रेम

Friday, September 4, 2009

परम पिता परमात्मा

हे ईश्वर सही राह मुझे दिखलाओ

सत्य वचन पे मुझे चलाओ

मुझ नादान का रखो ध्यान

भटक ना जाऊ सदा रहना मेरे साथ

विनती मेरी भी सुन लो तुम आज

फूल मेरे भी कर लो स्वीकार

अपने चरणों मुझको भी दे दो स्थान

कहना है बस इतना , मेरे सर पे धर धो अपना हाथ

हे परम पिता परमात्मा तुम्हे बारम्बार प्रणाम

सोलह श्रृंगार

कर के सोलह श्रृंगार

प्रियतमा चली साजन के द्वार

मन में रंग बरसे हजार

मिलन की बेला आई है आज

नयनो में सपने लिए अपार

मिलन को व्याकुल है मन आज

बड़े दिनों बाद खुसिया छाई अपार

साजन की बाहों को मन ऐ तरसे बार बार

कर के सोलह श्रृंगार

गौरी चली पीये के द्वार

हुस्ने मलिका

शब्दों को एक प्यारी नई जुबा दी है

गीतों भरी माला पिरोई है

तेरी पायल की खनखन पे दुनिया लुटाई है

तेरी मतवाली अदाओ पे दिल ऐ आया है

ओ हुस्ने मलिका ये दिल तुझ पे आया है

नैसर्गिक सौन्दर्य

जी करे इन हसीन वादियों में रच जाऊ

फूलो की खुसबुओ में घुल जाऊ

प्रकृति की इस अनुपम घटा में खो जाऊ

इस खुबसूरत लहमे में सारे गम भूल जाऊ

कल कल बहते जल प्रपातों के संगीत में दुनिया भूल जाऊ

इस नैसर्गिक सौन्दर्य को जीवन आत्मसात कर जाऊ

राजा रानी

एक था राजा एक थी रानी

बड़ी प्यारी उनकी प्रेम कहानी

राजा था मतवाला रानी भोली भाली

थे दोनों एक दूजे के उलट

पर चाहत में कोई कमी ना थी

अजब था उनका रिश्ता

एक दूजे बेगर चैन नही था

हर जनम साथ निभे

यह उनका वादा था

खुदा गवाह

हसीन वादियों बीच प्यारा सा

अपना एक जहाँ होगा

हम दोनों के सिवा ओर

ना कोई व़हा होगा

कुदरत ने चाहा तो

सपना साकार होगा

दो प्यार करने वाले दिलो का

खुदा भी गवाह होगा

साथ

वादा रहा सनम

छोडेगे साथ ना तेरा हम

मर जायेंगे प्यार अमर कर जायेंगे

जो मिल ना सके तो क्या

किसी ओर के हो ना पायेंगे

लगन जो दिल की है

जुदा फिर कैसे हो पायेंगे

जुस्तजू

मयखाने की समां जली

जीने की तमना ओर ना रही

छलकते जाम बीच

तुझे भूल जाने की कोशिश की

साकी की मदहोशी भी

तेरा चेहरा भुला ना पाई

नशे बीच भी तेरी जुस्तजू चली आई

भुलाऊ कैसे यह बात समझ ना आई

गुलाब का फूल

डाली डाली बूटा बूटा

खिले है गुलाब के फूल

तना तना पता पता

निकल रहे काँटो के नीड़

पल पल घड़ी घड़ी

बदल रहा कलियों का रूप

कलि कलि खिल खिल

बन रही गुलाब का फूल

छोटे छोटे दिलो के बड़े बड़े अरमान

छोटे छोटे दिलो के बड़े बड़े अरमान

हसरते चूमने आसमा की

खुली आँखों में सपने सजाने की

हवाओ में खाबो के महल बनाने की

कभी हँसने की कभी हसाने की

हर चाहत में मंजिल को पाने की

मंजिल मिले या ना मिले

रोज एक नई सपनो की दुनिया बसाने की

छोटे छोटे दिलो के बड़े बड़े अरमान


गुमनामी

वो पल भी आयेगा

जब हम ना होंगे

सिर्फ़ यादे होंगी

दिल की किताबो में

दफ़न एक अध्याय होगा

एक भूली दास्ता होगी

समय के साथ साथ

गर्त से ढकी किताब होगी

मानस पटल पर ना कोई छाप होगी

सिर्फ़ गुमनामी की गलिया में

खोई एक ओर कहानी होगी

अंकुरित

सुहानी फिजा चली आई

चमन लगा महकने

कलिया लगी खिलने

भवरे लगे गुंजन करने

पंछी लगे चहकने

आसमा लगे विचरने

करवट लेने लगी जिन्दगी

बीज अंकुरित होने लगे नए

समर्पण

अर्पण करू अर्पण करू

हे ईश्वर आप के श्री चरणों में

पूजा के दो फूल अर्पण करू

तर्पण करू तर्पण करू

हे ईश्वर आप की आराधना में

मन अपना तर्पण करू

समर्पण करू समर्पण करू

हे ईश्वर आप की सेवा में

ये तन समर्पण करू

लंगूर

पिया जी गए रंगून

बना गए लंगूर

खिला गए अंगूर

जतला गए तुम हो महा बेवकूफ

बिटिया जनम

शक्ति रूपा दुर्गा लक्ष्मी रूप धर अंगना पधारी है

मनोकामना पूर्ण हुई

घर खुशिया अपार छाई है

बिट्या दुलारी का नामकरण हुआ

दादा दादी बाँट रहे मिठाई है

दुआ हमारी भी ढेर सारी

जग में नाम करे भारी

इसकी भी महिमा गावे दुनिया सारी

भीड़

भीड़ में ना जाने कहा तुम खो गए

तलाशा बहुत पर तुम ना मिले

इसलिए राह हमने भी बदल डाली

उस राह को छोड़ दिया

जिस राह तुम गुजरा करते थे

भादव अमावस्या

श्रद्धा भक्ति से दादी को ध्याये

माँ के श्री चरणों में शीश नवाए

माता रानी की दिव्या ज्योत जलाए

चुडा चुनरी माँ को चढाये

आओ सब मिलकर भादव अमावस्या का उत्सव मनाये