Tuesday, September 15, 2009

पागल पवन

ओ रि पागल पवन

मत ना छेड़ दिल के मोर

क्यो डाले घटाओ पे डोर

उठने दे प्यार की हिलोर

टूट ना जाए पतंग की डोर

ओ रि पागल पवन

क़हा है तेरी छोर

मत ना मचा इतना शोर

बहने दे संगीत का दोर

मत ना तोड़ दिल की ओश

ओ रि पागल पवन

ओ रि पागल पवन

समझ ले इशारों की ओट

बदल ले तू अपना मोड़

बिन छुए निकल ले

कही भटक ना जाए दिल के चोर

ओ रि पागल पवन

ओ रि पागल पवन

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