POEMS BY MANOJ KAYAL
हर लहमो के लिए कुछ लिखा
पर अपने लिए कुछ ना लिखा
वक्त ही ना मिला
कब लहमा गुजर गया
पता ही ना चला
तमना अधूरी रह गई
ओर जिन्दगी गुजर गई
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