Thursday, September 24, 2009

प्रेम की नदिया

उमड़ घुमड़ काली घटा छाई

रुत मिलन की आई

घनघोर घटाए छाई

संदेश सुहाना लायी

छम छम बरसा आई

विरह वेदना को शीतल

ठंडी फुहार बनाई

फिजा की रंगत बदल आई

हर ओर प्रेम की नदिया बह आई

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