Thursday, September 17, 2009

जमाने की नजर

नजर जमाने की लग गई

नींद कही खो गई

सपने टूट गए

माला रिश्तो की बिखर गई

हम तुम अजनबी बन गए

काफूर हर खुशी हो गई

गम के अंधरे छा गए

क्यो ऐ घड़ी आन बनी

हमें तुमसे जुदा कर गई

नजर जमाने की लग गई

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