Saturday, September 26, 2009

मोहन की मीरा

नजाकत और सुन्दरता की

खुबसूरत संगम हो तू

शबमी बूंदों में लिपटी

जैसे कोई अप्सरा हो तुम

प्यार का सागर छलकाती

मोहन की मीरा हो तुम

No comments:

Post a Comment