Friday, September 25, 2009

बेमिशाल कृति

कितनी खुबसूरत ये सृष्टि है

हर पल अलग अलग नजारे है

कही धुप तो कही छाव है

बड़ी सुंदर ये रचना है

कही बसंत तो कही पतझड़ का मेला है

कल्पना से परे ये अजबूझ पहेली है

कुदरत की ये बेमिशाल कृति है

No comments:

Post a Comment