Wednesday, October 7, 2009

चक्रभ्यु

जिन्दगी के चक्रभ्यु में ऐसे फंसे

ख़ुद से ख़ुद को रूबरू ना करा पाए

वक्त पंख लगा उड़ता चला गया

यादो को समेट भी ना पाए

जिस जिन्दगी की तलाश में भटके

उसे अपने में तलाश भी ना पाए

जिन्दगी के असली दर्पण को समझ ना पाए

अपने ही अक्स को पहचान ना पाए

इस चक्रभ्यु को समझ ना पाए

जी के भी जी ना पाए

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