Monday, October 12, 2009

उड़ चलू

मन ये कहे उड़ चलू उड़ चलू

गगन गगन फिरता चलू

चहक चहक नीले अम्बर को छूता चलू

आजाद परिंदे सा डाली डाली छूता चलू

उड़ चलू उड़ चलू

खुशियों के पर लगा उड़ता चलू

कभी पर्वतो को कभी नदियों को छूता चलू

सुन के दिल की पुकार

हो के अरमानो के उड़न खटोले में सवार

उड़ चलू उड़ चलू

सुन के मन की बात दिल कहे ये बार बार

उड़ चलू उड़ चलू , उड़ चलू उड़ चलू

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