Saturday, October 31, 2009

प्रेम अनुभूति

क्यो होती है प्रीत क्यो होता है प्यार

जो ना होती प्रीत ना होता प्यार

ना होते श्याम ना होती राधे

इनकी जुगल छबि से ही है प्रेम रस की दुनिया

दिल से दिल को जोड़ना ही है प्रेम की रचना

क्यो प्यार में होता है दर्द क्यो होते है आंसू

दर्द प्यार बडाता है आंसू गम भुलाते है

जो ना होते आंसू तो ना होता दर्द

ना पीती मीरा जहर

ना समझती पाती दुनिया प्रेम अनुराग

क्यो होती प्यार में कसीस क्यो होता है जादू

जो ना होती कसीस ना होता जादू

तो ना होती चाहत

ना होती राधा ना होती मीरा

ना बहती प्रेम की अमृत धारा

जो ना होती प्रीत ना होता प्यार

जो ना होता दर्द ना होते आंसू

जो ना होती कसीस ना होता जादू

तो फिर खुदा क्यो दिल ये बनाता

दिल की धड़कन ही है प्रेम अनुभूति

सारी दुनिया है इस ढाई आखर में ही सिमटी

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