क्यो होती है प्रीत क्यो होता है प्यार
जो ना होती प्रीत ना होता प्यार
ना होते श्याम ना होती राधे
इनकी जुगल छबि से ही है प्रेम रस की दुनिया
दिल से दिल को जोड़ना ही है प्रेम की रचना
क्यो प्यार में होता है दर्द क्यो होते है आंसू
दर्द प्यार बडाता है आंसू गम भुलाते है
जो ना होते आंसू तो ना होता दर्द
ना पीती मीरा जहर
ना समझती पाती दुनिया प्रेम अनुराग
क्यो होती प्यार में कसीस क्यो होता है जादू
जो ना होती कसीस ना होता जादू
तो ना होती चाहत
ना होती राधा ना होती मीरा
ना बहती प्रेम की अमृत धारा
जो ना होती प्रीत ना होता प्यार
जो ना होता दर्द ना होते आंसू
जो ना होती कसीस ना होता जादू
तो फिर खुदा क्यो दिल ये बनाता
दिल की धड़कन ही है प्रेम अनुभूति
सारी दुनिया है इस ढाई आखर में ही सिमटी
No comments:
Post a Comment