POEMS BY MANOJ KAYAL
यू लगता है मैं थक गया
जिन्दगी से हार गया
औरो को प्रोत्साहित करनेवाला
आज ख़ुद हतोसाहित हो गया
समझ ना आवे किस राह चलू
जीने की तम्मना करू
या मौत की दुआ करू
भाग्य लिखा टल नही सकता
नियति बदल नही सकती
रब अब तेरा ध्यान करू
सजा यही अपनी पूर्ण करू
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