POEMS BY MANOJ KAYAL
कुदरत ने रचा खेल निराला
विश्वास की डोर हो गई कमजोर
जीवन पतंग हो गई बे डोर
उम्मीदों के आसमा को
छूने से पहले कट गई डोर
फटी पतंग देख रोना आया
दिल को बहुत समझाया
अपनी फटी किस्मत पे यकीन ना आया
कुदरत का लिखा मिट ना पाया
आंसुओ के दरिया में हमको बहा ले गया
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