POEMS BY MANOJ KAYAL
बिन कुरीतियों का चक्रभ्यु तोड़े
सामाजिक उत्थान कैसे हो
सदियों पुरानी परम्परा को तोड़े बैगर
कैसे समाज सफल हो
करनी होगी पहल
थमानी होगी रोशनी की मशाल
नये समाज गठन के लिए
करना होगा नई चेतना का संचार
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