Thursday, October 29, 2009

चेतना

बिन कुरीतियों का चक्रभ्यु तोड़े

सामाजिक उत्थान कैसे हो

सदियों पुरानी परम्परा को तोड़े बैगर

कैसे समाज सफल हो

करनी होगी पहल

थमानी होगी रोशनी की मशाल

नये समाज गठन के लिए

करना होगा नई चेतना का संचार

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