Sunday, January 24, 2010

अनछुई

तुम हो अनछुई सी

छुए धुप तुम्हे गुनगुनी सी

खिलखिलाती हो फूलों सी

चलती हो हिरनी सी

लगती हो परी सी

फिर भी लगती हो अपनी सी

मीठी सी ये चुभन है अनछुई सी

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