Thursday, January 21, 2010

अच्छे इंसान

सपने हो निगाहों में

हसरते हो दिलो में

काबू हो जज्बातों पे

फिर क्यों ना जीवन साकार हो

खुदा जब बनना नहीं

संत जब कहलाना नहीं

तो फिर क्यों ना अच्छे इंसान हो

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