Saturday, January 2, 2010

शुमार

आरजू है बस इतनी सी

अनन्त तारो की महफ़िल में

मैं भी शुमार हो जाऊ

झिलमिलाऊ जगमगाऊ

अपनी रोशनी से

अँधेरी राते रोशन कर जाऊ

आंधियो से लडती शमा की तरह

आसमा में दीपक बन टीमटीमाऊ

No comments:

Post a Comment