Friday, January 15, 2010

हरी दर्शन

हरी दर्शन से मन भरे नहीं

टकटकी लगाये निहारु श्याम बिहारी को

नजर गिरधारी से हटे नहीं

बस गई छबि मोहन की नयनों में

दिल अब श्याम नाम दूर नहीं

हरी दर्श एक बार तो दे दो

मन अभी तलक भरा नहीं

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