Friday, January 15, 2010

दोस्ती के नाम

मित्र जो आप जैसा हसीन हो

तो क्यों ना फिर खाबों के पंख हो

ना कोई बंधन हो ना कोई दीवार

आओ मिलके लिखे एक पैगाम दोस्ती के नाम

मंजूर अगर हो करना इकरार

ना हो तब भी ना करना इनकार

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