Sunday, January 3, 2010

मन की ताल

कह रही है मन की ताल

दोहरा रही है एक ही बात

नगमे ऐसे गाऊ

संगीत ऐसा बनाऊ

सुनके जिसकी मधुर तान

थिरकने लगे सभी भूल सारे दुःख

सरगम ऐसा गुनगुनाऊ

साज ऐसी बजाऊ

सुनके जिसकी मधुर राग

झुमने लगे धरती आकाश

कह रही है मन की ताल

करू ऐसी सप्त लहरी की धुन तैयार

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