Monday, January 18, 2010

अजर अमर

शाश्वत ईश्वर है नश्वर तन है

पहेली ये बहुत ही सरल है

ईश्वर की अनुकम्पा से

सृष्टि की ये देन है

सुंदर ये तन है

दिया जन्म जब रब ने

प्रेम क्यों तन से है

हर की अंतरात्मा में

विराजे प्रभु स्वयं है

इसीलिए आत्मा अजर अमर है

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