Sunday, January 17, 2010

नई सुबह

क्या लिखू इस नई सुबह के लिए

ऐसी हसीन पहले कभी ना थी

ओस में लिपटा तेरा मासूम चेहरा

ज्यों खिलते गुलाब की कलि थी

इससे अच्छी सुबह ओर हो नहीं सकती

खुलते ही आँखे तू ही दिल के पास थी

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