POEMS BY MANOJ KAYAL
क्या लिखू इस नई सुबह के लिए
ऐसी हसीन पहले कभी ना थी
ओस में लिपटा तेरा मासूम चेहरा
ज्यों खिलते गुलाब की कलि थी
इससे अच्छी सुबह ओर हो नहीं सकती
खुलते ही आँखे तू ही दिल के पास थी
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