Thursday, January 28, 2010

अन्धकार

कर रही सुबह का इन्तजार

कब हो उजाला ओर छट जाये अन्धकार

लड़ने अन्धकार से चाहिए एक हथियार

दीपक एक काफी नहीं

इसलिए कर रहा सूर्य का इन्तजार

ताकि इसकी रोशनी में गुम हो जाये अन्धकार सारा

No comments:

Post a Comment