Wednesday, January 27, 2010

जलती धूप

मेघ में अटका

बदल ने गटका

फिर भी बरसी नहीं बर्षा

बदल ने ली डकार

गूंज उठी आवाज

हजम हो गए मेघ अप़ार

कोंध उठा आसमान

छट गए बादल

खिलखिला उठी धूप

बिन बरसे गुजर गये बादल

मिली ना कोई राहत

जल उठे जलती धूप से

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